ऐसे शुभ अवसर को फिर तुम लोग क्यों गँवा रहे। ऐसे शुभ अवसर को फिर तुम लोग क्यों गँवा रहे।
जीवन एक युद्ध-भूमि है मुस्करा कर साहस से विजेता की तरह युद्ध खेल तू जीवन एक युद्ध-भूमि है मुस्करा कर साहस से विजेता की तरह युद्ध खेल तू
आवश्यक अनुष्ठान यदि है करना भरत भारत का निर्माण ।। आवश्यक अनुष्ठान यदि है करना भरत भारत का निर्माण ।।
कवि: मिखाईल लेरमेंतोव अनुवाद: आ.चारुमति रामदास कवि: मिखाईल लेरमेंतोव अनुवाद: आ.चारुमति रामदास
गहे तुम्हारी शरण जो, करते उसे निहाल। गहे तुम्हारी शरण जो, करते उसे निहाल।
आसमाँ तू कब तरस कर मेरे शहर पर रहम बरसाएगा। आसमाँ तू कब तरस कर मेरे शहर पर रहम बरसाएगा।